राष्ट्र कवी राम धरी सिंह दिनकर ने बड़े ही सुन्दर और सटीक शब्दों में क्षमा प्रार्थना के विषय में लिखा है, “क्षमा शोभती उस भुजंग जिसके पास गरल हो”.
अर्थात माफ़ वही व्यक्ति कर सकता है जिसके पास शामा जैसा कीमती उपहार हो. इस संसार में कोई मनुष्य ऐसा नहीं है जिससे जाने अनजाने में गलती न की हो अक्सर गलती हो ही जाती है. मगर गलती को सुधारने का एक ही तरीका है. ऐसे कोई गलती नहीं होती जोमाफ न की जाये. अर्थात सभी गलतियां शमय होती है. शमा मजबूत लोगों की ही विशेषता है. अंत में मैं यह कहाँ चाहूंगी कि हमें उन लोगों को शामा क्यों करना चाहिए जिन्होंने हमें चोट पहुंचाई हो. उससे हमें क्या फायदा है आखिर हमारा मकसद क्या है.
हमें मानसिक शांति मिलती है.
हमें सकारात्मक उर्जा मिलती है.
हमारे आस पास का वातावरण खुशनुमा हो जाता है.
हमें अग्रसर होने वह नवी करयूं हेतु मनोबल मिलता है.
आपसी द्वेष समाप्त हो जाते है.
हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है.
क्षमा करने से जीवन में मिठास आती है और नए रिश्ते मजबूत होते हैं.
क्षमाशील व्यक्ति ही समाज में पूज्ये होता है.
है इंसान गलती का पुतला
की गलती हो ही जाती है
जो गलती करके पछताये
उसे इंसान कहते है
अगर गलती रुलाती है
तोह राह भी दिखाती है
जो गलती करके पछताये
उसे भगवान कहते है
प्रगति शर्मा
Yuppies!!!!!!! Sooo